Sunday 11 September, 2011
सुनो लड़की, अभी तुम इश्क मत करना
सुनो लड़की अभी तुम इश्क मत करना,
अभी गुड़िया से खेलो तुम,
तुम्हारी उम्र ही क्या है,
अभी मासुम बच्ची हो,
नहीं मालूम अभी तुमको,
कि जब ये इश्क होता है,
तो इंसान कितना रोता है,
सितारे टूट जाते हैं,
सारे छुट जाते है,
सहारे छुट जाते हैं,
अभी तुमने नहीं कि जब साथी बिछड़ते हैं,
तो कितना दर्द होता है,
हजारों गम उभरते हैं,
हजारों जख्म खुलते हैं,
सुनो लड़की मेरी मानो पढ़ाई पर तवज्जों दो,
किताबों में गुलाब को नहीं रखना,
किताबें जब भी खुलेंगी तो ये कांतो कि तरह दिल में चुभने लगेगी,
किसीको खत मत लिखना,
लिखाई पकड़ी जाती है,
बड़ी रुसवाई होती है,
किसी को फोन मत करना,
वो आवाजें सताती हैं,
मेरी नज्में नहीं पढ़ना,
ये तुम्हें पागल बना देंगी,
सुनों लड़की मेरी मानो तुम अभी इश्क मत करना,
अपनी तकदीर से तुम खुलके मत लड़ना अभी तुम गुड़िया से खेलो,
अभी तुम इश्क मत करना..
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment