शब्द संभाले बोलिए ......
शब्द के हाथ न पाव रे ........
१। एक शब्द औषध करे..., एक शब्द करे घाव रे ......
२। मुख से निकला शब्द तो, वापिस फिर न आएगा .....
३। दिल किसी का तोरकर तू भी चेन न पायेगा .....
४। इसलिए कहते गुरूजी ,शब्द पे रखना ध्यान रे...
५। सच करवा भाता न किसीको ,...सच मीठा कर बोलिए...
६। गुरु की अमृत वाणी सुनकर, मुख से अमृत घोलिये...
७। इसलिए कहते गुरूजी, मीठा शब्द महान रे......
८। मुख की मौन देवता बनाती, मन की मौन भगवान रे.......
९। मौन से ही तुम अपने , शब्दों मैं भर लो जान रे ....
१०। इसलिए कहते गुरूजी,मौन ही भगवान रे...
११। ज्ञानी तो हर वक्त ही, मौन मैं ही है रहता ....
१२। मुख से कुछ न कहते हुए भी, सब कुछ ही है वो कहता ....
१३। इसलिए कहते गुरूजी, मौन ही वरदान रे.......
१४। एक शब्द औषध करे, एक शब्द करे घाव रे.....
शब्द के हाथ न पाव रे ........
१। एक शब्द औषध करे..., एक शब्द करे घाव रे ......
२। मुख से निकला शब्द तो, वापिस फिर न आएगा .....
३। दिल किसी का तोरकर तू भी चेन न पायेगा .....
४। इसलिए कहते गुरूजी ,शब्द पे रखना ध्यान रे...
५। सच करवा भाता न किसीको ,...सच मीठा कर बोलिए...
६। गुरु की अमृत वाणी सुनकर, मुख से अमृत घोलिये...
७। इसलिए कहते गुरूजी, मीठा शब्द महान रे......
८। मुख की मौन देवता बनाती, मन की मौन भगवान रे.......
९। मौन से ही तुम अपने , शब्दों मैं भर लो जान रे ....
१०। इसलिए कहते गुरूजी,मौन ही भगवान रे...
११। ज्ञानी तो हर वक्त ही, मौन मैं ही है रहता ....
१२। मुख से कुछ न कहते हुए भी, सब कुछ ही है वो कहता ....
१३। इसलिए कहते गुरूजी, मौन ही वरदान रे.......
१४। एक शब्द औषध करे, एक शब्द करे घाव रे.....
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