किश्मत, भाग्य, तकदीर, लक, प्रारब्ध, कर्मफल, योग, नियति...ये कुछ ऐसे बहुप्रचलित शब्द हैं जिनसे सभी परिचित हैं। कोई कितना भी मेहनती और सफल क्यों न हो जिंदगी में कभी न कभी ऐसे हालात अवश्य बन जाते हैं जब व्यक्ति को भाग्य और योग-संयोग की बातें सोचने और मानने पर मजबूर होना ही पड़ता है।
कहते हैं कि वैसे तो कर्मों के फल को कोई नहीं रोक सकता, वह हर हाल में भोगना ही पड़ता है। लेकिन हमेशा से ही कुछ बातें या कहें कि शक्तियां ऐसी अवश्य ही रही हैं जिनके बल पर अनहोनी या असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। ऐसा ही संयोग दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के विषय में होता है। आइये जाने उन अकाट्य और अजैय शाक्तियों को जो बुरी से बुरी किश्मत को भी सौभाग्य में बदलने की क्षमता रखती हैं...
1. बह्मुहूर्त में जागरण:
अभी तक आपका जो भी रुटीन रहा हो लेकिन कल से ही आप सूर्योदय से पहले हर हाल में बिस्तर छोड़ कर उठ जाएं। नित्य कर्मों से निपट कर साफ और सफेद रंग के वस्त्र पहनकर पूर्व दिशा की और मुंह करके बैठें और 15 से 20 मिनिट तक सुख-समृद्धि और प्रशन्नता का ध्यान करें।
2. कुंडलिनी शक्ति:
योग-अध्यात्म में कुंडलिनी शक्ति को हमारे शरीर में मेरूदंड में स्थित बताया जाता है। मेरुदंड के अंतर्गत ही ऐसे गुप्त शक्ति केन्द्र होते हैं जिन्हें जगाकर साधक का सारा दुर्भाग्य मिटाया जा सकता है।
एकाएक कुंडलिनी का जागरण कर पाना किसी के लिये भी संभव नहीं होता है, इसीलिये व्यक्ति को कल से इस बात की शुरुआत अवश्य कर देना चाहिये कि वह जब भी जंहा भी बैठे अपनी रीढ़ को यानी मेरुदंड को हर हाल में सीधा रखे। कमर झुकाकर बैठने से कुंडलिनी शक्ति कुंद होने लगती है, जिससे इंसान दुर्भाग्य से जल्दी प्रभावित हो जता है।
3. 324 बार गायत्री मंत्र का जप:
गायत्री मंत्र की शक्तियों से आज सारी दुनिया और विज्ञान जगज भी परिचित है। आध्यात्मिक शास्त्रों की यह निश्चित मान्यता है कि जो व्यक्ति प्रतिदिन सूर्योदय के समय निश्चित समय, निश्वित स्थान पर विशुद्ध आसन पर बैठकर 3-माला गायत्री का जब करता है उसके सारे बुरे प्रारब्ध कर्मफलों का नाश हाने लगता है। तथा पहले दिन से दुर्भाग्य सौभाग्य में परिवर्तित होने लगता है।
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