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Thursday 10 February, 2011

राजनीति :मानस खत्री की हास्य कविता

ऐ देश के लफंगों, नेता तुम्ही हों कल के,
यह देश है तुम्हारा, खा जाओ इसको तल के.
आज की राजनीति का क्या है कहना,
नेताओं के पाप और जनता का उनको सहना.
जिसका लेता, कभी न देता,
नाम है उसका “भारतीय नेता”.
चुनाव के पहले नेता घर-घर मांगने जाते हैं वोट,
और फिर चुनाव के बाद, अपनी भोली जनता को,
पहुचाते हैं गहरी चोट.
बढती महंगे छूती जा रही है आसमान,
और नेता जनता की गाढ़ी कमी खा-खा कर,
होते जा रहें हैं पहेलवान.
भारतीय राजनीति बड़ी ग्रेट है,
सौ में से ९९ नेता पीते सिगरेट हैं.
नेताओं ने फैला रखा है, चारों तरफ अपना मायाजाल,
कर न पाया कोई बाँका उनका एक भी बाल.
सदन के विपक्षी नेता मिल कर करते हैं दलाली,
लोकसभा की कैन्टीन में मिल कर पीते हैं,
चाय की प्याली.
भारत की राजनीति है एक गन्दी बहती नाली,
जिसमें बैठ कर नेता,
वसूलते हैं जनता से दलाली.
प्यारे मित्रों! ज़रा गौर फरमाईये गा,
भारतीय राजनीति को भूल मत जाइये गा.
भारतीय राजनीति है एक गहरा कुआँ,
जिसमें जल कर सारी अच्छाईयां,
हो जाती हैं धुआं-धुआं.

1 comment:

  1. nice sharing
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