औरों से अब मत दया की भीख ले
अपना बनता हक छीनना सीख ले.
अब चुप रहना कायरता मानी जाती है,
क्रोधित स्वर की शक्ति पहचानी जाती है.
शांति और अहिंसा के आयाम हैं बदले,
जीवन-मूल्य भी बदले, उनके नाम भी बदले.
समय के परिवर्तन से तुम्हें बदलना होगा,
छोड़ पुरानी राह नयी पे चलना होगा.
Saturday 13 November, 2010
Wednesday 10 November, 2010
मूर्ख क्यों पच्छताए
मूर्ख क्यों पच्छ्ताए ,
कल जो गया हाथ न आए !
लगा हिसाब क्या खोया क्या पाया ,
तूने कितना पुन्य और कितना पाप कमाया !
कल जब आएगा आज बन कर आएगा ,
और अगर अंहकार, लोभ ,मोह ,नही भगाया !
पुन्य का खाता तेरा घटता जाएगा ,
यम् खडा है तेरे द्वारे ,
और तुझ को पकड़ ले जाएगा !
इस लिय प्यारे अपना आज सम्हाल ,
जी आज में और फिर देख कमाल !
कल जो गया हाथ न आए !
लगा हिसाब क्या खोया क्या पाया ,
तूने कितना पुन्य और कितना पाप कमाया !
कल जब आएगा आज बन कर आएगा ,
और अगर अंहकार, लोभ ,मोह ,नही भगाया !
पुन्य का खाता तेरा घटता जाएगा ,
यम् खडा है तेरे द्वारे ,
और तुझ को पकड़ ले जाएगा !
इस लिय प्यारे अपना आज सम्हाल ,
जी आज में और फिर देख कमाल !
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