Ravi Thakur
मैं हूँ, यह तो सबका अनुभव है लेकिन 'मैं कौन हूँ' यह ठीक से पता नहीं है।
Saturday, 3 August 2013
कदी हँस भी लिया करो यार
शक्की पति, पहले दिन..... पति (फोन पर): कहां हो ?
पत्नी : घर में।
पति : अच्छा यदि घर में हो तो मिक्सी चलाओ।
पत्नी मिक्सी चलाती है..... घर्र..घर्र..घर्र..घर्र..घर्र
पति : अच्छा ठीक है।
दूसरे दिन..... पति (फोन पर): कहां हो ?
पत्नी : घर में।
पति : अच्छा यदि घर में हो तो मिक्सी चलाओ।
पत्नी मिक्सी चलाती है.......घर्र..घर्र..घर्र..घर्र
पति : अच्छा ठीक है।
तीसरे दिन पति अचानक घर पहुंच जाता है......
पति : मालकिन कहां है ?
नौकर : पता नहीं साहब, कहीं गई हैं .....
लेकिन एक बात समझ नहीं आयी
साथ में झोले में रखकर मिक्सी क्यों ले गई हैं
कदी हँस भी लिया करो यार
शक्की पति, पहले दिन..... पति (फोन पर): कहां हो ?
पत्नी : घर में।
पति : अच्छा यदि घर में हो तो मिक्सी चलाओ।
पत्नी मिक्सी चलाती है..... घर्र..घर्र..घर्र..घर्र..घर्र
पति : अच्छा ठीक है।
दूसरे दिन..... पति (फोन पर): कहां हो ?
पत्नी : घर में।
पति : अच्छा यदि घर में हो तो मिक्सी चलाओ।
पत्नी मिक्सी चलाती है.......घर्र..घर्र..घर्र..घर्र
पति : अच्छा ठीक है।
तीसरे दिन पति अचानक घर पहुंच जाता है......
पति : मालकिन कहां है ?
नौकर : पता नहीं साहब, कहीं गई हैं .....
लेकिन एक बात समझ नहीं आयी
साथ में झोले में रखकर मिक्सी क्यों ले गई हैं
शक्की पति, पहले दिन..... पति (फोन पर): कहां हो ?
पत्नी : घर में।
पति : अच्छा यदि घर में हो तो मिक्सी चलाओ।
पत्नी मिक्सी चलाती है..... घर्र..घर्र..घर्र..घर्र..घर्र
पति : अच्छा ठीक है।
दूसरे दिन..... पति (फोन पर): कहां हो ?
पत्नी : घर में।
पति : अच्छा यदि घर में हो तो मिक्सी चलाओ।
पत्नी मिक्सी चलाती है.......घर्र..घर्र..घर्र..घर्र
पति : अच्छा ठीक है।
तीसरे दिन पति अचानक घर पहुंच जाता है......
पति : मालकिन कहां है ?
नौकर : पता नहीं साहब, कहीं गई हैं .....
लेकिन एक बात समझ नहीं आयी
साथ में झोले में रखकर मिक्सी क्यों ले गई हैं
Monday, 21 May 2012
कविता के बीज
आओ खोजते है ...
कविता के बीज
ख़ुशी के अश्क
या फिर गरीब के आँखों में खून
आदमी से आदमी के लड़ने का जूनून
खोजिये
यही कही पर मिल जायेंगे
कविता के बीज//
धर्म बदलने की दुकान पर जाए
कसम खाकर पलट जाने वालों के आँखों में झांके
सिंदूर लगे पत्थर में खोजें
मिल जायेगे
कविता के बीज //
सास-बहु की खटपट में खोजे
देवर-भाभी के चुम्बन में खोजे
नेताओ के चाल-चलन में खोजें
मिल जायेंगे
कविता के बीज //
यमदुत
एक आदमी मर गया और सीधा नरक में पहुंचा। वहां यमदूत ने उसका स्वागत किया और उसे नरक की सैर कराई। यमदूत ने कहा कि यहां तीन तरह के नरक-कक्ष है और उसे अपनी पसन्द का कक्ष चुनने की आजादी है।
पहला कक्ष आग की लपटों और गर्म हवाओं से इस कदर भरा हुआ था कि वहां सांस लेना भी दूभर था। आदमी ने कहा कि वह इस नरक में रहना नहीं चाहेगा।
यमदूत उसे दूसरे नरक कक्ष में ले गया। यह कक्ष सैंकड़ों आदमियों से भरा हुआ था और यमदूत बेरहमी से उनकी पिटाई कर रहे थे। चारों ओर चीखपुकार का माहौल था। आदमी यह सब देखकर घबरा गया और उसने यमदूत से अगला कक्ष दिखाने की प्रार्थना की।
तीसरा और अंतिम कक्ष ऐसे लोगों से भरा हुआ था जो बस आराम कर रहे थे और कॉफी पी रहे थे। यहां अन्य दो कक्षों जैसी कष्टदायक कोई बात उसे नहीं दिखी। उसने यमदूत से कहा कि वह इसी कक्ष में रहना चाहता है। यमदूत ने उसे उसी कक्ष में छोड़ा और चला गया। आदमी ने एक कॉफी ली और आराम से एक तरफ बैठ गया। कुछ मिनटों बाद लाउडस्पीकर पर एक आवाज गूंजी-
ब्रेक टाइम खत्म हुआ। अब फिर से दस हजार घूंसे खाने के लिये तैयार हो जाओ!
पहला कक्ष आग की लपटों और गर्म हवाओं से इस कदर भरा हुआ था कि वहां सांस लेना भी दूभर था। आदमी ने कहा कि वह इस नरक में रहना नहीं चाहेगा।
यमदूत उसे दूसरे नरक कक्ष में ले गया। यह कक्ष सैंकड़ों आदमियों से भरा हुआ था और यमदूत बेरहमी से उनकी पिटाई कर रहे थे। चारों ओर चीखपुकार का माहौल था। आदमी यह सब देखकर घबरा गया और उसने यमदूत से अगला कक्ष दिखाने की प्रार्थना की।
तीसरा और अंतिम कक्ष ऐसे लोगों से भरा हुआ था जो बस आराम कर रहे थे और कॉफी पी रहे थे। यहां अन्य दो कक्षों जैसी कष्टदायक कोई बात उसे नहीं दिखी। उसने यमदूत से कहा कि वह इसी कक्ष में रहना चाहता है। यमदूत ने उसे उसी कक्ष में छोड़ा और चला गया। आदमी ने एक कॉफी ली और आराम से एक तरफ बैठ गया। कुछ मिनटों बाद लाउडस्पीकर पर एक आवाज गूंजी-
ब्रेक टाइम खत्म हुआ। अब फिर से दस हजार घूंसे खाने के लिये तैयार हो जाओ!
पहचान
एक औरत है
जिसके
हाथों की अकडन
घुटनों का दर्द
और चहरे की झुरिय्याँ
बढ़ जाती है , साल-दर-साल
समतल जमीन पर
उसके चलने का ढंग
मानो पहाड़ चढ़ती महिला
एक लाठी के संग //
पहचाना आपने
वह मेरी माँ है /
संतोषम परम सुखम
देख तुम्हारी भरी जवानी , मैं क्यों बहकूँ
हो फूल भवरे की तुम , फिर मैं क्यों चहकूं //
खुश हूँ अपने घर में ,माता-पिता के संग
देख तुम्हारी महल अटारी , मैं क्यों तरसूं //
मेहनत की सूखी रोटी , लगती है मीठी
देख तुम्हारा हलवा-पुआ , मैं क्यों तडपूं //
हर आंसू में तुम बसते हो , ऐसा मैंने पाया
मंदिर में तुम्हें खोजने , फिर मैं क्यों भटकूँ //
हो फूल भवरे की तुम , फिर मैं क्यों चहकूं //
खुश हूँ अपने घर में ,माता-पिता के संग
देख तुम्हारी महल अटारी , मैं क्यों तरसूं //
मेहनत की सूखी रोटी , लगती है मीठी
देख तुम्हारा हलवा-पुआ , मैं क्यों तडपूं //
हर आंसू में तुम बसते हो , ऐसा मैंने पाया
मंदिर में तुम्हें खोजने , फिर मैं क्यों भटकूँ //
Wednesday, 22 February 2012
ससुर की दूसरी शादी
पत्नी (पति से)- ससुर जी ने दूसरी शादी कर ली आप उनसे कुछ कहते क्यों नहीं हैं.
पति (पत्नी से)- मैं उन्हें कुछ नहीं कह सकता क्योंकि उन्होंने मुझसे वादा किया है कोई अच्छा सा रिश्ता देखकर तेरी भी करवा दूंगा.
बंता: वाह वाह! जोर से चली हवा उड़ गया कुत्ता. फिर?
संता: फिर क्या? रुक गई हवा और गिर गया कुत्ता.
पति (पत्नी से)- मैं उन्हें कुछ नहीं कह सकता क्योंकि उन्होंने मुझसे वादा किया है कोई अच्छा सा रिश्ता देखकर तेरी भी करवा दूंगा.
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संता: जोर से चली हवा उड़ गया कुत्ता.
बंता: वाह वाह! जोर से चली हवा उड़ गया कुत्ता. फिर?
संता: फिर क्या? रुक गई हवा और गिर गया कुत्ता.
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एक व्यक्ति अपने मित्र से दुखड़ा बांट रहा था, “मेरे चार बेटे हैं, पहले वाले ने एमबीए किया है, दूसरे ने एमबीबीएस किया है, तीसरे ने एम टेक किया है, लेकिन चौथा चोर बन गया है…” मित्र ने तुरंत कहा, “चोर को घर से निकाल दो, वरना घर की इज़्ज़त नीलाम कर देगा…” पिता ने जवाब दिया, “उसे कैसे निकाल दूं, यार… वही तो कमाऊ है, बाकी तीनों बेरोज़गार हैं…….
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क्लास में टीचर ने कहा – सब अपने अपने लवर का नाम पेपर पर लिखो.
दो मिनट बाद लड़के बोले – लिख दिया मैडम.
पांच मिनट बाद लड़कियां बोलीं – सप्लीमेंटरी कॉपी चाहिए मैडम.
दो मिनट बाद लड़के बोले – लिख दिया मैडम.
पांच मिनट बाद लड़कियां बोलीं – सप्लीमेंटरी कॉपी चाहिए मैडम.
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संता रातभर मुजरा देखता रहा. सुबह मुजरे वाली बोली: रातभर हमने आपको खुश किया है अब आप हमको खुश कर दीजिए.
संता: तो चल, मैं नाचता हूं तू देख.
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एक पुराने प्रेमी की शायरी: आज अपनी गर्लफ्रेंड की शादी में जाकर एहसास हुआ कि खाना अच्छा होता है तो मोहब्बत भी फीकी लगने लगती है.
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संता: अपने स्कूल की सुनाता हूं एक प्रेम कहानी,
एक टॉपर थी लड़की जो थी पर्सेंटेज की महारानी,
फिर……
फिर…….
फिर…….
फिर क्या हमने फंसा ली और फेल हो गई महारानी !
अशिक्षा का प्रकोप
एक औरत कम पढ़ी-लिखी थी. उसे पता नहीं था कि पूर्णविराम कहां लगाना है. इसलिए लिखने के दौरान वह कहीं भी पूर्णविराम लगा देती थी. उसके पति बाहर रहते थे. एक दिन उसने अपने पति को चिट्ठी लिखी, जो कुछ यूं थी-
मेरे जीवनसाथी मेरा प्रणाम आपके चरणों में. आपने अभी तक चिट्ठी नहीं लिखी मेरी सहेली को. नौकरी मिल गई है हमारी गाय ने. बछड़ा दिया है दादा जी ने. शराब शुरू कर दी मैंने. तुमको बहुत खत लिखे पर तुम नहीं आए कुत्ते के बच्चे. भेडि़या खा गई दो महीने का राशन. छुट्टी पर आते हुए ले आना एक खूबसूरत औरत. और इस वक्त वही गाना गा रही है हमारी बकरी. बेच दी गई है तुम्हारी मां. तुमको याद कर रही है एक पड़ोसन. हमें बहुत तंग करती है तुम्हारी बहन. सिरदर्द से लेटी है तुम्हारी पत्नी.
मेरे जीवनसाथी मेरा प्रणाम आपके चरणों में. आपने अभी तक चिट्ठी नहीं लिखी मेरी सहेली को. नौकरी मिल गई है हमारी गाय ने. बछड़ा दिया है दादा जी ने. शराब शुरू कर दी मैंने. तुमको बहुत खत लिखे पर तुम नहीं आए कुत्ते के बच्चे. भेडि़या खा गई दो महीने का राशन. छुट्टी पर आते हुए ले आना एक खूबसूरत औरत. और इस वक्त वही गाना गा रही है हमारी बकरी. बेच दी गई है तुम्हारी मां. तुमको याद कर रही है एक पड़ोसन. हमें बहुत तंग करती है तुम्हारी बहन. सिरदर्द से लेटी है तुम्हारी पत्नी.
शर्म तो है ही नहीं
एक दक्षिण भारतीय व्यक्ति की नई-नई शादी हुई. एक दिन उसने खाने पर अपने उत्तर भारतीय मित्र को बुलाया.
दक्षिण भारतीय व्यक्ति की पत्नी खाना परोसते समय कहना तो यह चाहती थी कि खाइए-खाइए, शर्म न कीजिए, लेकिन हिन्दी ठीक न आने के कारण बोल पड़ी- ‘खाओ-खाओ शर्म तो है नहीं. ‘
दक्षिण भारतीय व्यक्ति की पत्नी खाना परोसते समय कहना तो यह चाहती थी कि खाइए-खाइए, शर्म न कीजिए, लेकिन हिन्दी ठीक न आने के कारण बोल पड़ी- ‘खाओ-खाओ शर्म तो है नहीं. ‘
भीख मांगने का तरीका (औरतें नजरअंदाज न करें)
भिखारी भीख माँगने एक घर के दरवाजे पर पहुंचा. दस्तक दी तो अंदर से एक पैंतालीस साल की महिला आई.
भिखारी : माताजी भूखे को रोटी दो.
महिला : शरम नहीं आती, हट्टे-कट्टे होकर भीख मांगते हो. दो हाथ हैं, दो आंख हैं, पैर हैं, फिर भी भीख मांगते हो?
भिखारी : माताजी, आप भी खूबसूरत, गोरी-चिट्टी हैं, गजब का फिगर है और अभी आपकी उम्र ही क्या है? आप मुंबई जाकर हीरोइन क्यों नहीं बन जातीं? घर पर बेकार बैठी हो.
महिला : जरा रुको, मैं अभी तुम्हारे लिए खाना लाती हूं.
भिखारी : माताजी भूखे को रोटी दो.
महिला : शरम नहीं आती, हट्टे-कट्टे होकर भीख मांगते हो. दो हाथ हैं, दो आंख हैं, पैर हैं, फिर भी भीख मांगते हो?
भिखारी : माताजी, आप भी खूबसूरत, गोरी-चिट्टी हैं, गजब का फिगर है और अभी आपकी उम्र ही क्या है? आप मुंबई जाकर हीरोइन क्यों नहीं बन जातीं? घर पर बेकार बैठी हो.
महिला : जरा रुको, मैं अभी तुम्हारे लिए खाना लाती हूं.
Monday, 31 October 2011
गिटार ! गिटार ! गिटार !
एक आदमी ने घनघोर तपस्या की और शिवजी को प्रसन्न कर लिया। शिवजी बोले - बेटा, मैं तुझसे बहुत खुश हूं। कोई वरदान मांग ।
भक्त बोला - प्रभु, मुझे एक गिटार दे दो।
गिटार ! कैसा गधा है। शिवजी ने सोचा । कोई गिटार के लिए भी तपस्या करता है।
बोले - बेटा, तूने बड़ी तपस्या की है। कुछ बड़ा मांग। चिन्ता मत कर, सब कुछ मिलेगा।
भक्त बोला - नहीं प्रभु, मुझे तो सिर्फ एक गिटार चाहिए बस !
शिवजी समझाने लगे - बेटा, कुछ ढंग का मांग। मेरी रेपुटेशन का तो खयाल कर। गिटार भी कोई मांगने की चीज है भला।
परंतु भक्त भी जिद पर अड़ा हुआ था, बोला - नहीं प्रभु, अगर देना है तो बस गिटार ही दो !
अब शिवजी को गुस्सा आ गया, बोले - गिटार ! गिटार ! गिटार ! अबे अगर गिटार मेरे पास होता तो मैं ये डमरू क्यों बजाता फिरता .............. !
भक्त बोला - प्रभु, मुझे एक गिटार दे दो।
गिटार ! कैसा गधा है। शिवजी ने सोचा । कोई गिटार के लिए भी तपस्या करता है।
बोले - बेटा, तूने बड़ी तपस्या की है। कुछ बड़ा मांग। चिन्ता मत कर, सब कुछ मिलेगा।
भक्त बोला - नहीं प्रभु, मुझे तो सिर्फ एक गिटार चाहिए बस !
शिवजी समझाने लगे - बेटा, कुछ ढंग का मांग। मेरी रेपुटेशन का तो खयाल कर। गिटार भी कोई मांगने की चीज है भला।
परंतु भक्त भी जिद पर अड़ा हुआ था, बोला - नहीं प्रभु, अगर देना है तो बस गिटार ही दो !
अब शिवजी को गुस्सा आ गया, बोले - गिटार ! गिटार ! गिटार ! अबे अगर गिटार मेरे पास होता तो मैं ये डमरू क्यों बजाता फिरता .............. !
कैन आई गो टू
बच्चा: कैन आई गो टू टॉयलेट?
शिक्षक (ठीक करते हुए): मे आई गो टॉयलेट.
बच्चा: चुपचाप बैठी रह ज्यादा चालाक मत बन. पहले मैं जाऊंगा.
Wednesday, 26 October 2011
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